मनहरण घनाक्षरी छंद
मनहरण घनाक्षरी छंद विधान – 88,87 प्रथम नमन मेरा ,जन्म दायिनी माँ को है द्वितीय नमन मेरा, ईश सम
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Read More:1: खाली करिए राजपथ, जनता है बेहाल । घर में सब ही कैद हैं, जीना हुआ मुहाल ।। जीना हुआ
Read Moreदिव्य दिवाकर,नाथ प्रभाकर,देव आपको,नमन करूँ। धूप-ताप तुम,नित्य जाप तुम,करुणाकर हे!,तुम्हें वरूँ।। नियमित फेरे,पालक मेरे,उजियारा दो,पीर हरो। दर्द लड़ रहा,पाप अड़
Read Moreअदरख वाली चाय से ,मन का मिटे विषाद ,बन्दर भालू जी कभी ,ना जाने ये स्वाद,ना जाने ये स्वाद,सदा उनको
Read Moreआज दिखाई ना पड़ी, सुंदर गोरी नार। उर व्याकुल देखे बिना, नैना हैं लाचार।। नैना हैं लाचार, सुख-चैन हृदय न
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