मदिरा सवैया (वर्णिक छंद )
” मदिरा सवैया ” (वर्णिक छंद ) सात भगण+एक गुरु 211 211 211 211 211 211 211 2 ************************************** बाजत
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Read Moreहुरियारों पे शारद मात सदय हों, जाग्रत सदा विवेक रहे हैं चित्र जो गुप्त रहे मन में, साकार हों कवि
Read Moreमनहरण घनाक्षरी “होली के रंग” होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है।
Read Moreब्राह्मण भोजन साद सदा, गुण क्षत्रिय तीख निभाय रहे हैं । वैश्य विधा अनुकूल प्रयोजन उत्तम भोग लगाय रहे
Read Moreचोरी करके चोर ही,करने लगे बवाल डाट रहा है लुटेरा, सहमा है कोतवाल सहमा है कोतवाल, सड़क के गड्ढे रोएं
Read Moreअजीब से हालात है मेरी जिंदगी के दिन ढलता भी नहीं और रात होती हैं.. मुस्कुराना काफी नहीं है इस
Read More1- आभासी जा हाट में, लई दुकान सजाय गाहक तौ ना मिलत हैं ,बनिया नून चबाय । बनिया नून चबाय
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