पुरुष हो तुम्हें कोई दिक्कत नहीं है
हर रोज़ घर से कमाने निकलना हैआग के दरिया से मुझको गुज़रना हैतमन्नाओं को अपनी खुद ही कुचलना हैजीने की
Read Moreहर रोज़ घर से कमाने निकलना हैआग के दरिया से मुझको गुज़रना हैतमन्नाओं को अपनी खुद ही कुचलना हैजीने की
Read Moreआओ फिर से बात करें हम, बातों से कुछ हल निकलेगामन की उलझन भी कम होगी, अहम् का हिम पर्वत
Read Moreनिंदा करता निंदक अच्छा, जो कहता है कहने दो।सुनना धर्म हमारा है सब, रहने दो अब जाने दो।जब दिन होते
Read Moreलगता है अब चुक गया हूँ। संघर्ष से अब थक गया हूँ।। क्रोध अब आता नहीं है। गान कोई भाता
Read Moreआया यह कैसा प्रगति का दौरहर तरफ है बस शोर ही शोरबम -बंदूकों की गड़गड़ाहट सेछाया जगत में अंधियारा घनघोरआया
Read Moreगीत गा रही वर्षारानी,आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश,तबियत आनंदित है।। गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी धूप,तो
Read Moreप्रेम नहीं केवल है तुमसे, छाया तुम्हारी प्यारी है। साथ भले ही, नहीं रहो तुम, तुमसे हमारी यारी है।। वाद-विवाद
Read Moreखुद ही खुद के साथ रहेंगे नहीं किसी से प्रेम चाहिए, खुद ही खुद से प्रेम करेंगे। साथ में साथी
Read Moreमन का मौसम ठीक नहीं तो होठों पर भी गीत नहीं।अरसा हुआ हृदय के पथ से गुजरा कोई मीत नहीं।
Read Moreगर्मी निशदिन बढ़ती जाए,व्याकुल मन दिन रैन।हर पल मेरा मन घबराए, पाऊँ कहीं न चैन।। सकल सृष्टि की महिमा न्यारी,उचित
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