जय नागरिक
राष्ट्र के सच्चे विधायक, नागरिक! जय हो तुम्हारी। साक्षी इतिहास के तुम, आरती जग ने उतारी। प्रजा, जनता, भीड़, जन,
Read Moreमानवता को जब मानोगे,तब जीने का मान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। भेदभाव में क्या
Read Moreअज्ञात वीर हैं बड़े लड़ैया, जिनकी मार सही ना जाय। एकै मारै दुइ मर जावैं, तीजौ ख़ौफ़ खाय मर जाय॥
Read Moreनया काल है,नया साल है,गीत नया हम गाएँगे। करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।। बीत गया जो,उसे भुलाकर,
Read Moreयूं ही नही कोई, अटल बन सकता ग्वालियर की, पुण्य धरा परएक अटल सितारा, उदित हुआजन-मानस पर, अमिट छाप छोड़ीबार
Read Moreकभी जेठ की तपती धूप सी लगतीये जिन्दगी,कभी सर्दियों की गुनगुनी धूप लगतीये जिन्दगी। कभी काँटों में गुलाब का फूल
Read Moreघरनी की दोमृदुल कलाईखनकें चूड़ी बारम्बार। पग में पायलकमर करधनीहाथों में संगीत उभार।कहती हैं क्याहरी चूड़ियाँखोलो साजन बन्द किवार।। समझें
Read Moreगुलशन में फूलों के ढेर। नयां साल है नई सवेर। मुबारिक धरती अम्बर को। मानवता के मन्दिर को।
Read More