आई फिर बसंत
जन्न्त का पहनावा पा कर आई फिर बसंत धरती दुल्हन भांति सजा कर आई फिर बसंत खुशबू के अलंकार
Read Moreजन्न्त का पहनावा पा कर आई फिर बसंत धरती दुल्हन भांति सजा कर आई फिर बसंत खुशबू के अलंकार
Read Moreपांच सौ वर्षों से, भी अधिक काइंतजार आखिर , खत्म हुआअयोध्या सज गयी, दुल्हन जैसीश्री राम जी का, आगमन हुआ।।
Read Moreघर-घर मंगल दीप सजे है,तोरन बंदनवार लगे है।आ गये श्री राम लला जी,प्रभु करते है सबका भला। आज उमंगित हैं
Read Moreखूब सजी है नगरी अयोध्या बीच मेरे राम दा डेरा वे माईया हो चौर झुलावे हनुमत प्यारे चरण धुलावे लखन
Read Moreजीवन का तो अंत सुनिश्चित,मुक्तिधाम यह कहता है। जीवन तो बस चार दिनों का,नाम ही बाक़ी रहता है।। रीति,नीति से
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