मधु स्वप्न
अद्भुत चलन संस्सार काजीता न कोई होड़कर।कुछ भी न जीवन में बचादेखा घटाकर – जोड़कर। यादें पिघल, झरने बहेकटु शब्द
Read Moreअद्भुत चलन संस्सार काजीता न कोई होड़कर।कुछ भी न जीवन में बचादेखा घटाकर – जोड़कर। यादें पिघल, झरने बहेकटु शब्द
Read Moreसाथ भले ही आज नहीं हो, साथ की यादों में जीता हूँ।पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे
Read Moreआदमी को आदमी की खोज जारी। देह तो सबकी लगे वे आदमी हैंआदमी थे वे सभी कल आज भी हैंआदमी
Read Moreगहन लगे सूरज की भांति ढल रहा है आदमी।अपनी ही चादर को ख़ुद छल रहा है आदमी॥ आदमी ने आदमी
Read Moreसंबन्धों पर स्वार्थ है हावी, रिश्तों में ना मेल है। जीवन अब बाजार में बिकता, संबन्ध बने यहाँ खेल है।।
Read Moreमेरे सीने में जो दिल है,उसमें बस तेरी घड़कन है।मिले नहीं हो तुम वर्षों से,इसीलिए यह तड़पन है। बसा लिया
Read Moreऐसे ही नही , आसानी से हमहम पान मसाला, बन पाते हैं।। दुनिया भर की, हानिकारक चीजोंका बड़े चाव से,
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