विजय पर्व विजयदशमी
देखो री सखी घर-घर बटत बधाई,रघुवर संघ विराजत सर्व सुहागन सीता माई,सुंदर छवि अंखियन में समाई,जो छवि निरखतकामदेव भी हारे,शोभा
Read Moreदेखो री सखी घर-घर बटत बधाई,रघुवर संघ विराजत सर्व सुहागन सीता माई,सुंदर छवि अंखियन में समाई,जो छवि निरखतकामदेव भी हारे,शोभा
Read Moreमेरा गाँव भी अब शहर हो गया है।प्रकृति से बहुत दूर घर हो गया है। बचपन में खेला, वह पीपल
Read Moreजब तक पीले पात तरू के नहीं झरेंगेंकैसे नव पल्लव जग का सिंगार करेंगे?कल तक जो फूलों की माला गले
Read Moreईश्वर का उपहार प्रकृति को नदिया की धारा कल कल हूंहां मैं जल हूं हां मैं जल हूं जब से
Read Moreराह तुम्हारी तकते-तकते,जाने कितने मौसम बीते! आंखों में हमने बोये थे,साथ-साथ रहने के सपने।किंतु तरुण मन कैसे जाने,सपने कभी न
Read Moreस्वच्छ पर्यावरण में होती जीवन की खुशहाली।खुशबू के संदेश देती फूलों वाली डाली। इस कारण ही कुदरत की मर्यादा में
Read Moreतेरे नाम के मद में राधे, मैं तो डूबा जाऊँसुबह-शाम-दिन-रात मैं,राधे-राधे-राधे गाऊँ। चखकर तेरे नाम की मदिरा, दुनिया भूल गया
Read Moreमत जाओ तुम गणराज, बहुत याद आओगेफिर एक बरस तक नाथ, हमें तरसाओगे ना फूलों की लड़ियाँ होगी, रंग-बिरंगी गलियाँ
Read Moreआती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नामसुमिर-सुमिर तन आज हुआ है मेरा चारो धाम मिश्री बनकर नाम तेरा, मुख में
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