धन ही गणित में, धन ही जगत में,
धन बिन अपना कोई न यहाँ पर, संबन्ध भी धन की माया है।धन ही गणित में, धन ही जगत में,
Read Moreधन बिन अपना कोई न यहाँ पर, संबन्ध भी धन की माया है।धन ही गणित में, धन ही जगत में,
Read Moreहों स्वप्न सभी साकार आपकेनये साल में ! घर बाहर सूरज समृद्धि कीकिरणें बरसाएंसन्ध्यायें सुख-सुविधाओं केमंगल दीप जगायें स्वागत के
Read Moreअकेलापन या एकान्त साधना, समझ नहीं में पाता हूँ। लोगों ने मुझे छोड़ दिया है, या मैं उनको ठुकराता हूँ।।
Read Moreतुम होते हो पास,प्रेम की सरिता बहती है।मन – दर्पण में,वासंती छवि कविता कहती है। अमरबेल की भाँतिलिपट जाते हो
Read Moreआजकल तो एक हफ़्ते में नहाने का चलन है।शत्रु लगता गुसलखाना, दूर से जल को नमनहै।कँपकँपाती देह एवम् थरथराता हुआ
Read Moreहम ही क्यों सब, पुण्य-पंथ के सुंदरतम प्रतिमान गढ़ेंहम ही क्यों सब, चीख-चीखकर बाइबल और कुरान पढ़ेंहम ही क्यों सब,
Read More‘वीर बाल’ का दिवस मनायें, वीरों के सत्कार में।चुनवाये थे नौनिहाल दो, मुगलों ने दीवार में।वीर बाल०गुरु गोविंद सिंह द्वय
Read Moreअद्भुत चलन संस्सार काजीता न कोई होड़कर।कुछ भी न जीवन में बचादेखा घटाकर – जोड़कर। यादें पिघल, झरने बहेकटु शब्द
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