जीवन मूल्य
करता कोई असर नहीं कोई भी जब दवाबस एक दुआ ही काम आजार में आवे जीवन मिला जिसे बड़ भाग्य
Read Moreकरता कोई असर नहीं कोई भी जब दवाबस एक दुआ ही काम आजार में आवे जीवन मिला जिसे बड़ भाग्य
Read Moreबंद हूं मैं, कैद हूं मैंघूट रही हूं मैं, घट रही हूं मैंपराधीन हूं, ना स्वाधीन मैंबेमोल सी हूं अर्थहीन
Read More1 फागुन आयाखिले टेसू के फूलकब आओगे2होली के गीतपिया हैं परदेशउमंग नहीं3लाल गुलालसजनी का इशारामस्त है होली। — निर्मल कुमार
Read Moreस्वारथ की इस दौड़ में, अपने को रहे भूल। दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।। जिह्वा हित भोजन
Read Moreवो प्यासा मर गयाकुंआ के मुंडेर पर,सच में उसे कुएं सेपानी निकलनाआता नहीं था,बस बड़ी बाते बनानाउसकी फितरत थी,वो पानी
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