तन्हाई
ढलने लगी शाममैं हो गया गुमनामकिसको सुनाऊं मन कीखबर नहीं अब तन कीनीरस दिन, गुमसुम रातेंयादों की बस बातेंतन्हाई बनी
Read Moreगद्दारों की बिसात बिछी, देश की मिट्टी रोती है,सीमा के प्रहरी चीख उठे, जब अंदर से चोट होती है।ननकाना की
Read Moreवह दिल्ली में हैउसने बताया, वहाँ ओले गिरेऔर पूछा क्या अपने यहाँ भी गिरे है?मैंने बताया नहींगर्मी है! भीषण गर्मी!बोली
Read Moreवीर सिपाही देश के, रक्षा में तैनात। सक्षम चौकस शूर वे, करे तेज आघात।। राष्ट्र प्रेम की लौ जले, हो
Read Moreआज रात यमराज जब मुझसे मिलने आयातो मैंने उससे चित्रगुप्त जी के नाम एक पत्र लिखवाया,पत्र का मजमून उसकी समझ
Read Moreमैंने देखा है,उस अनाम क्षण को,जहाँ उम्र की सीमाएँमहज़ शब्द बनकर रह जाती हैं। जहाँ चालीस की देहलीज परन थमता
Read Moreबोझिल बेरंग जिंदगी मेंएकमात्र रंग शिक्षा ही है,सरकारों का रवैया दर्शाता है किमुफ्त में दे रहे भिक्षा है,ये कैसा गुणवत्ता
Read Moreभूत की परछाइयों से कब तक यूं घबराओगे,आने वाले सवेरे को कैसे फिर अपनाओगे।छोड़ दो बीते पलों का बोझ मन
Read Moreशब्दों से सेनाएं नहीं चलतीं,शेर की खाल पहनकर भेड़िए भी गरजते हैं,मंचों से चीखना आसान है,पर सरहद की ठंड में
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