पद्य साहित्य

कविता

व्याप्त हैं

दुष्प्रवृत्तियाँ चारों तरफ़, कौरवों सी व्याप्त हैं,सत्प्रवृत्तियाँ पाण्डवों सी, यहाँ संघर्षरत हैं।कुरुक्षेत्र में युद्धरत, निष्काम भाव चिंतन रहे,द्वन्द्वात्मक जगत से

Read More
कविता

प्रकृति

हे प्रकृति!कैसे वर्णन करुं तुम्हारेविविध रुपों का,आलबंन कभी उद्दीपनआतुर कभी नव सृजन,कोमलता ममत्व कीबनती सुखदायी,विराट रुप विकरालबन जाता दुःखदायी,जीवन प्रदायिनी,जीवन

Read More