ग़ज़ल
करने वाला करे बुरा सा कुछइक भरोसा तो है खुदा सा कुछढूंढ़ता हूं अभी उम्मीदे हैंअपने भीतर कहीं बचा सा
Read Moreदुष्प्रवृत्तियाँ चारों तरफ़, कौरवों सी व्याप्त हैं,सत्प्रवृत्तियाँ पाण्डवों सी, यहाँ संघर्षरत हैं।कुरुक्षेत्र में युद्धरत, निष्काम भाव चिंतन रहे,द्वन्द्वात्मक जगत से
Read Moreआप लगाओं जितना भी तोहमतहै मुझे स्वीकारलेकिन मैं कहती हूँक्या तुम उसे करोगे अंगीकार?एक दिवस के लिए,आ जाओ मेरी जगहजान
Read Moreकितना भी झुठलाएं पर एक दिन जाना होगा।बिना तैयारी ही घर से जाने कहां ठिकाना होगा। न कोई अपना होगा
Read Moreसइयां अब तो हैं कोतवाल, वाह भाई वाह,उछल रहे सब नटवरलाल, वाह भाई वाह। हरिश्चंद्र के पूत बने थे जो
Read Moreतुम्हें देखकर ,अक्सर मैं भूल जाता हूँ ।मेरी उम्र क्या है ?मैं यह सोच पाता नहीं ,प्रेम बंधन नहीं स्वच्छंद
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