मुक्तक
युग बदला बदले समीकरण माने सम्मान के बदल गएसम्मान का मतलब क्या होता है कोई ज्ञानी बतलायेगा इसमें तो होगा
Read Moreआंसू और भूख कोजो नहीं समझता है,अपना हिस्सा खा कर भीऔरों का भी झपटता है,ढो रहे हैं इनको देश दे
Read Moreएक व्यक्ति मेरा चैन चुराए बैठा हैं,मेरे दिल की धड़कन बढ़ाये बैठा है,मै उससे कुछ कहूं तो कैसे कहूंवो कहता
Read Moreमैं दिव्य -सनातन- सत्य तत्व।मैं परमात्मा का अंश अमर।मुझसे है साँसों का प्रवाह।मेरी अनुभूति सहज सुंदर।मेरे समीप जो आता है,वह
Read Moreसच कहा बिलावल तुमने, पाकिस्तान के अन्दर लड़ोगे,सीमा पर तो भारतीय फौज, क्या खाकर उनसे लड़ोगे?सिन्धु सतलुज नदीयाँ हमारी, सिन्धु
Read Moreसब्र करते करते कितने ही बरस बीत गए।आज़ाद हैं हम ! गाए कितने ही गीत गए। लहू देख अपनों का…
Read Moreहम हो गए हैं नाटक के किरदार की तरहपढ़ते हैं लोग हमको भी अखबार की तरह बजती नहीं है तालियां
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