धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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सर्वव्यापक कर्मों का साक्षी परमात्मा मुनष्य को बुरे काम करने पर रोकता क्यों नहीं?

ओ३म् ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, सर्वज्ञ, जीवों के प्रत्येक कर्म का साक्षी व फल प्रदाता है। जीवात्मा सत्य व

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ईश्वर व जीवात्मा विषयक यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति का सरल उपाय

ओ३म् ईश्वर के सत्य स्वरूप का ज्ञान विद्वानों के उपदेशों को सुनकर अथवा वेद वा वैदिक साहित्य के अध्ययन से

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ईश्वर मनुष्यों सहित सभी प्राणियों का सदा सर्वदा का साथी और रक्षक है

ओ३म् तर्क और युक्ति के आधार से यह सिद्ध किया जा सकता है कि इस संसार का रचयिता और पालक

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जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी: समीक्षा

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी अर्थात जिसकी जैसी दृष्टि होती है, उसे वैसी ही मूरत नज़र

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ईश्वर का प्रमाणिक विवरण कहां से प्राप्त हो सकता है?

ओ३म् संसार के इतिहास पर दृष्टि डालते हैं तो सबसे पुराना इतिहास भारत का ही उपलब्ध होता है। भारत का

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जिसका जन्म उसकी मृत्यु और जिसकी मृत्यु उसका जन्म होना अटल है

ओ३म् गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु ध्रुव अर्थात् अटल है और

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मनुष्य जन्म की पृष्ठभूमि, कारण एवं परम उद्देश्य

ओ३म् संसार के सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठतम प्राणी है। इसका कारण मनुष्यों में सत्य व असत्य का विवेक कराने

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जीवात्मा का पूर्वजन्म, मुत्यु, पुनर्जन्म व परजन्म

ओ३म् आज का विज्ञान ईश्वर व जीवात्मा के अस्तित्व व स्वरुप से पूर्णतया व अधिकांशतः अपरिचित है। विज्ञान केवल भौतिक

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महर्षि दयानन्द के मुम्बई में वर्ष १८८२ में दिए गए कुछ ऐतिहासिक व्याख्यान

ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने मुम्बई में जनवरी से जून, 1882 के अपने प्रवास में वहां की जनता को उपदेश

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