कैकेय नरेश महाराज अश्वपति की सार्वजनिक घोषणा’
ओ३म् –प्राचीन भारत का स्वर्णिम आदर्श इतिहास- भारत विगत लगभग पौने दो अरब वर्षों से अधिक तक वैदिक धर्म व
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Read Moreओ३म् प्राचीनकाल में धर्म विषयक सत्य-असत्य के निणर्यार्थ शास्त्रार्थ किया जाता था। अद्वैतमत के प्रचारक स्वामी शंकराचार्य के बाद विलुप्त
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) उन्नीसवीं शताब्दी के समाज व धर्म-मत सुधारकों में अग्रणीय महापुरुष हैं। उन्होंने 10 अप्रैल सन्
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने सन् 1863 में अपने गुरू दण्डी स्वामी विरजानन्द सरस्वती की मथुरा स्थित कुटिया से आगरा
Read Moreओ३म् चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद, ईश्वरीय ज्ञान है जिसे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर ने सृष्टि
Read Moreओ३म् स्वामी दयानन्द ने सन् 1863 में मथुरा में प्रज्ञाचक्षु दण्डी गुरु स्वामी विरजानन्द सरस्वती से विद्यार्जन पूरा कर अज्ञान
Read Moreजीवन, मरण, लोक, परलोक, स्वर्ग और नरक आदि गूढ़ विषय यदि सद्साहित्य में तलाशेें तो इनके लिए कोई समान सार्वत्रिक
Read Moreओ३म् मनुष्य व पशुओं में प्रमुख भेद मनुष्यों के पास बुद्धि का होना व पशु आदि अन्य प्राणियों के पास
Read Moreओ३म् हम इस जड़-चेतन संसार में रहते हैं। यह सारा जगत हमारा परिवार है। सभी जड़ पदार्थ हमें अपने गुणों
Read Moreसूफीमत से हर कोई परिचित है। परन्तु अधिकांश लोगों को इसके मर्म, उद्देश्य और सबसे महŸवपूर्ण और चैतन्य बोध प्राप्ति
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