धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं

ओ३म् ईश्वर ने इस संसार को अपने किसी निजी प्रयोजन से नहीं अपितु जीवों के कल्याणार्थ बनाया है। उसी ने

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैदिक धर्म में पिता का गौरव

ओ३म् चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वरीय प्रदत्त ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इन वदों का सर्वाधिक प्रमाणित भाष्य

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि को किसने, कैसे व क्यों बनाया?

ओ३म्                               हम जिस संसार में रहते हैं वह किसने, कैसे, क्यों व कब बनाया है? इस प्रश्न का उत्तर न

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महान आर्य संन्यासी स्वामी श्रद्धानन्द

ओ३म् वैदिक धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन में स्वामी श्रद्धानन्द जी का महान योगदान है। उन्होंने अपना सारा जीवन इस

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स्वामी श्रद्धानन्द का पावन चमत्कारिक व्यक्तित्व

ओ३म् स्वामी श्रद्धानन्द (1856-1926), पूर्वनाम महात्मा मुंशीराम, महर्षि दयानन्द के प्रमुख शिष्यों में से एक थे जिन्हें अपने धर्मगुरू के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य की उन्नति के सार्वभौमिक 10 स्वर्णिम सिद्धान्त व मान्यतायें

ओ३म् मनुष्य जीवन ईश्वर की जीवात्मा को अनमोल देन है। सभी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वह इस संसार व

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य में संस्कार व गुणों का आधान ही समाज कल्याण है

ओ३म स्वामी वेदानन्द तीर्थ (1892-1956) वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। उन्होंने जो साहित्य़ सृजित किया, वह मनुष्य की उन्नति के

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ईश्वर व जीवात्मा का यथार्थ उपदेश देने से महर्षि दयानन्द विश्वगुरु हैं

ओ३म्   यह संसार वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक अनबुझी पहेली ही है। आज भी वैज्ञानिक इस सृष्टि के

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