तिरुक्कुरल व धर्मचिंतन विचार : ईश्वर वंदना
प्रस्तावना तिरुक्कुरल एक सार्वभौम ग्रंथ है। करीब 2500 वर्षों के पहले रचित है। इसके रचयिता की जीवनी के बारे में
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Read Moreओ३म् आर्यजगत के पहली पीढ़ी के एक प्रमुख विद्वान पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर्थ जी ने अनेक उच्चकोटि के ग्रन्थों की
Read Moreओ३म् श्रीकृष्ण योगेश्वर थे, महात्मा थे, महावीर और धर्मात्मा थे। महाभारत में उनके इसी स्वरूप के दर्शन होते हैं। यद्यपि
Read Moreओ३म् मनुष्य जीवन का उद्देश्य प्रभु का दर्शन कर सभी दुःखों से 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्षों तक
Read Moreओ३म् संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह स्वस्थ हो, बलवान हो, सुखी हो व सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं
Read Moreओ३म् वर्तमान काल में संसार में धार्मिक मत-मतान्तर बड़ी संख्या में प्रचलित है जिनकी ठीक-ठीक गणना करना भी सरल कार्य
Read Moreओ३म् मनुष्य को ईश्वर ने जो मानव शरीर दिया है वह पांच ज्ञान इन्द्रिय, पांच कर्म इन्द्रिय, मन व बुद्धि
Read Moreओ३म् वेदों का अध्ययन करने पर हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर ने हमारे लिए ही यह सृष्टि बनाई है
Read Moreओ३म् वैदिक साहित्य योगदर्शन वेद का उपांग कहा जाता है। यह वेद के 6 उपांगों योग, सांख्य, वेदान्त, वैशेषिक, न्याय
Read Moreओ३म् हमारे देश के पतन के कारणों में मुख्य कारण था विद्या का ह्रास तथा अन्धविश्वासों व पाखण्डों की वृद्धि।
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