धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

माता शबरी जयंती विशेष (24 फरवरी)

माता शबरी श्री राम की परम भक्त हुई। जिनकी भक्ति से द्रवित होकर प्रभु श्री राम को उनके झूठे बेर खाने वन में आना पड़ा।  वास्तव में श्रीराम का वन गमन कई कारणों से संबंधित रहा, इसका एक प्रमुख कारण यह भी था कि माता शबरी कई वर्षों से प्रभु श्रीराम के आगमन की प्रतीक्षा […]

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ये कैसी आध्यात्मिक सेवा ?

वैश्विक स्तरपर हजारों वर्षों पूर्व से ही भारतीय आध्यात्मिकता रही है, जिसका कोई अंत नहीं है, यानें मेरा मानना है कि शायद जबसे सृष्टि की रचना हुई है तबसे भारतीय भूमि पर आध्यात्मिकता को महत्व दिया जाता रहा है, क्योंकि पूर्व से पुर्वंनतर वाले इतिहास भी भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता का जिक्र जरूर होगा। इसलिए […]

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परम कल्याणकारी – भगवान शिव

महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। ईशान संहिता के अनुसार ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के नाम से लोकप्रिय हुआ। यह शिव और पार्वती के विवाह के रूप में हर घर में मनाया जाता है। इस पवित्र दिन पूरा भारत शिव भक्ति में तल्लीन […]

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काल बनाम दयाल

वैश्विक स्तरपर भारत आदि अनादि काल से ही आध्यात्मिकता की मिठास में डूबा हुआ एक अनमोल भाग्यशाली देश है, जिसकी मिट्टी में ही अनेकों गुण समाए हैं जो इस धरती पर मानवीय जीव के जन्म लेने से ही उसमें समा जाते हैं, फ़िर चाहे वह दुनिया के किसी भी देश के किसी भी कोने में […]

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धनतेरस और भगवान धन्वन्तरि

धनतेरस का महत्व हिंदू धर्म में बहुत उच्च माना जाता है, दिवाली से 2 दिन पहले मनाया जाने वाले इस पर्व को धनत्रयोदशी भी कहते हैं । इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है और प्रदोष काल में यम के नाम से दीपदान किया जाता है । धनतेरस के दिन सोना , चांदी , […]

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आध्यात्मिकता जीवन का आधार है

वैश्विक स्तरपर भारत को अनंत काल सदियों से आध्यात्मिक देश माना जाता है, क्योंकि हमारा हज़ारों वर्षों का इतिहास देखा जाए तो उसमें इसके प्रमाण मिलते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि दुनिया में जहां भी भारतवंशी होगा वहां आध्यात्मिकता का अंश ज़रूर होगा। आज के वैश्विक डिजिटल युग में मानवीय प्राणी अपने आर्थिक प्रगति […]

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ईश्वर है तभी तो यह सृष्टि है

एक महात्मा श्रद्धालुओं के एक समूह को भगवान व उस तक पहुंचने के तरीके बता रहे थे, तभी सभा में बैठा एक नास्तिक, जिसका उद्देश्य लोगो का ध्यान हटाकर विघ्न डालना था, बोला ‘महात्मन्! भगवान में ध्यान लगाने की बात तो तब आएगी, जब हम इस बात से आश्वस्त हों कि भगवान सचमुच में है।‘ […]

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कबीर और तुलसी दोनों हिंदुत्व के पोषक थे

संत कबीर के जन्म के बारे में प्रचलित कहानियों का निचोड़ यह है कि ये लहरतारा सरोवर के किनारे पाए गए। एक जुलाहे दम्पत्ति ने इनका लालन- पालन किया और ये भी जुलाहे का काम करने लगे। उस समय काशी जनपद में जुलाहे हिंदू नहीं थे पर अन्य मुसलमानों की तरह कट्टर मुसलमान भी नहीं […]

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मानव की मूल प्रकृति तो है सरल स्वाभाव

हमें मानव भव मिला है उसकी मूल कारण मेरे चिन्तन से प्रकृति तो है सरल स्वभाव वाली । 9 दुर्गम तिर्यंच घाटियां पार करके मुश्किल से हम भव भवान्तर मे भटकते हुए दुर्लभ मनुष्य शरीर जो मिला है और आज तक कितनी ही बार मिला भी हो सकता है । हम अभी तक नहीं सम्भले,भटक […]

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सुखांत-दुखांत

असंतोष की वृत्ति का अंत है दुखांत । वहीं इसके विपरीत हमारे जीवन में संतोषपूर्वक स्वीकारोक्ति सदा ही लाती है सुखांत। यह बात लिखने में जितनी सरल है उतनी ही हमारे जीवन के आचरणों में आने में कठिन है । सही से अगर इसको समझ लिया जाये तो यह असम्भव भी नहीं है । जीवन […]