ग्राम्य लोक-संस्कृति की परम्परा में भुर्री का महत्व
किसी कवि ने क्या खूब कहा है –“गाँव की माटी को सूँघो,गंध को एक नाम दे दो।”एक मुस्कुराती सुबह दे
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Read Moreअभी तक जितना पढ़ा है। मुझ जैसे अल्पज्ञ व अज्ञानी को अधिक अनुभव व ज्ञान भी नहीं है। पढ़ने का
Read Moreभारतीय दर्शन में जीवन को नश्वर कहा गया, उसके प्रति मोह न रखने का प्रबोध दिया गया, स्वर्ग और मोक्ष
Read Moreसमझने वाले बिना समझाये भी समझ जाते हैं और नहीं समझने वाले समझाने से भी नहीं समझते. यह दुनिया ऐसी
Read Moreबहुत बार पुछा जाता है कि जब हर ग्रंथ का कोई लेखक होता है तो अपने वेदों का लेखक कौन
Read Moreश्रीमद्भगवद्गीता पर सैकड़ों प्रसिद्ध तथा सैकड़ों अप्रसिद्ध अनुवाद, व्याख्याएँ, टीकाएँ,भाष्य आदि पचासों भाषाओं में हमारे समक्ष उपलब्ध हैं! तुलसीदास की
Read Moreक्रिसमस त्योहार एक महत्वपूर्ण ईसाई त्योहार है, जो यीशु मसीह के जन्म की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार
Read Moreआजादी के पश्चात् हमारे धर्माचार्यों को भी धर्म की अपेक्षा राजनीति में रस अधिक लग रहा है! इसीलिये तो धर्माचार्य
Read Moreस्वामी विवेकानन्द को हिन्दू संन्यासी कहना एकदम गलत होगा। वे संन्यासी तो थे, किन्तु हिंदू संन्यासी थे, यह सही नहीं
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