धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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ऋषि दयानन्द के समाज सुधार के कार्य

ओ३म् आर्यसमाज के इतिहास में महात्मा नारायण स्वामी जी का गौरवपूर्ण स्थान है। आप आर्यसमाज के शीर्ष विद्वान एवं ऋषिभक्त

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भातृत्व की भावना स्थापित करता है रक्षा बन्धन का त्योहार

इस वर्ष 15 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार आया है। स्वन्त्रता दिवस के साथ हम सब रक्षा बंधन मना

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श्रेष्ठ धन इहलोक व परलोक में जीवात्मा का हितकारक

मनुष्य को अपना जीवन जीनें के लिए धन की आवश्यकता होती है। भूमिधर किसान तो अपने खेतों में अन्न व

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श्रीकृष्ण और शाल्व का सौभनगर (अलवर) में हुए युद्ध का वर्णन

ओ३म् श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुषों में से एक हैं। महर्षि दयानन्द ने उन्हें आप्त पुरुष कहा है। महाभारत

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ईश्वर सभी शुभ-अशुभ कर्मों का फलदाता होने से न्यायाधीश है

ओ३म् संसार में तीन अनादि एवं नित्य सत्तायें हैं ईश्वर, जीव एवं प्रकृति। संसार की यह तीन सत्तायें सनातन एवं

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ऋषि दयानन्द ने सभी सुखों का त्याग कर वेदप्रचार क्यों किया?

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की और इसके द्वारा संगठित रूप

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आर्यसमाज के विद्वानों, नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को निःस्वार्थ भाव से एवं निर्भीकतापूर्वक वेदों का प्रचार करना चाहिये

ओ३म् महर्षि दयानन्द के आगमन से लोगों को यह ज्ञात हुआ कि विद्या व ज्ञान भी सत्य एवं असत्य दो

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