धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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ईश्वर अनादि काल से हमारा साथी है और हमेशा रहेगा

ओ३म् अथर्ववेद के एक मन्त्र ‘अन्ति सन्तं न जहात्यन्ति सन्तं न पश्यति। देवस्य पश्य काव्यं न ममार न जीर्यति।।’ में

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अग्निहोत्र यज्ञ एक आध्यात्मिक एवं पूर्ण कल्याणप्रद कर्म है

ओ३म् वैदिक धर्म का आरम्भ ईश्वर प्रदत्त वेदज्ञान से सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न ऋषियों व मनुष्यों

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कृष्ण के दृष्टिकोण – आज के सामाजिक सन्दर्भ में

हिन्दू धर्म में हम कृष्ण को गुरु मानते हैं। मेरे अनुसार कृष्ण केवल गुरु ही नहीं हैं, क्योंकि गुरु तो

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गाय को हम सिर्फ पूजा के समय ही मां क्यों मानते हैं?

हमारी भारतीय संस्कृति में नित्य कोई न कोई तीज-त्यौहार, पर्व मनाते है । भादवा बदी द्वादशी के दिन गौ माता,

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महर्षि गर्ग ने किया श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार

 कृष्ण से जुड़ी इतनी घटनाएं है कि जिन्हे समेट पाना भी असंभव है फिर भी महर्षि महामुनि गर्ग ऋषि द्वारा

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अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि बुद्धिमान मनुष्य का कर्तव्य

ओ३म् मानव शरीर ही ऐसा साधन है कि जिसे प्राप्त कर जीवात्मा अपने शरीर, आत्मा व बुद्धि के द्वारा ज्ञान

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ऋषि दयानन्द के समाज सुधार के कार्य

ओ३म् आर्यसमाज के इतिहास में महात्मा नारायण स्वामी जी का गौरवपूर्ण स्थान है। आप आर्यसमाज के शीर्ष विद्वान एवं ऋषिभक्त

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