लेख

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें

आर्य समाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण कि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महर्षि दयानन्द, आर्य समाज और गुरूकुलीय शिक्षा

महर्षि दयानन्द ने मुख्यतः वेद प्रचार के लिए ही आर्यसमाज की स्थापना की थी। यह बातें गौण हैं कि यह

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में ईश्वराधीन है।

यदि वेद न होते तो संसार के मनुष्यों को यह कदापि ज्ञान न होता कि मनुष्य कौन व क्या है?

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे

महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

शांति, भाईचारे और प्रेम का संदेश देती है बुद्धपूर्णिमा

निराशाजनक वातावरण के युग में पूरे समाज में शांति, भाईचारे, प्रेम व एकता का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध को

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लेख

आनंदमठ – अंग्रेजो की प्रशंसा और जानिए क्यों नहीं गाते हैं मुस्लिम वंदे मातरम्

श्री बंकिम चंद्र चटर्जी जी की लिखी कालजयी रचना ‘ आन्नद मठ ‘ जिसमें लिखा वन्देमातरम गाने से हर भारतीय

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