नागरी प्रचारिणी सभा, काशी की करुण-कथा
हिन्दी को हर तरह से समृद्ध करके उसे शक्तिशाली भाषा बनाने और उसके माध्यम से इस विशाल और भिन्न-भिन्न संस्कृतियों
Read Moreहिन्दी को हर तरह से समृद्ध करके उसे शक्तिशाली भाषा बनाने और उसके माध्यम से इस विशाल और भिन्न-भिन्न संस्कृतियों
Read Moreतुलसीदासजी ने कहा है कि ‘रामहि केवल प्रेम पियारा’। राम को केवल प्रेम प्यारा लगता है और राम का प्रेम
Read Moreभाषा मानव सभ्यता की जननी है। भाषा के बिना मानव अधुरा है। भाषा के बिना मानव का विकास संभव नहीं
Read Moreआज हर क्षेत्र में हम बढ़ रहे हैं, किन्तु चरित्र के मामले गिरते जा रहे हैं। आज पढ़े-लिखे ही नित
Read Moreअगर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के मुक्तक रचना की बात करें तो साहित्य क्षेत्र में मुक्तक सम्राट राम कैलाश पाल प्रयागी
Read Moreभाषा से ही एक राष्ट्र, साहित्य, समाज और संस्कृति और संस्कार का पता चलता है। भाषा इंसान की संजीवनी। इसलिए
Read More“साहित्य में समाज प्रतिबिंबित होता है। तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप ही किसी काल के साहित्य
Read Moreउत्पन्ना द्राविडेचाहं कर्नाटे वृद्धिमागता।स्थिता किन्चिन्महाराष्ट्रे गुर्जरे जीर्णामता।।अर्थात् “श्रीमद्भागवत” में व्यास महर्षि ने भक्ति के मुख से यह कहलवाया है कि
Read Moreमेरा मानना है कि लोकमंगल का आशय हर उस क्षेत्र के मंगल यानी खुशहाली और समृद्धि से है, जिसका हमसे
Read Moreहिंदी भारत की राष्ट्र भाषा होने के साथ जनभाषा भी है। यही वह भाषा है जिसने कश्मीर से कन्याकुमारी तक
Read More