कविता – हम तुम
अकेले हम बूंद हैं,मिल जाएं तो सागर। अकेले हम धागा हैं,मिल जाएं तो चादर। अकेले हम अल्फ़ाज़ हैं,मिल जाय तो
Read Moreअकेले हम बूंद हैं,मिल जाएं तो सागर। अकेले हम धागा हैं,मिल जाएं तो चादर। अकेले हम अल्फ़ाज़ हैं,मिल जाय तो
Read Moreअंतर्मन में चले द्वंद को किसको मैं समझाऊंसमय का खेल है सारा मैं खुद समझ न पाऊंअमिट लिखा जो भाग्य
Read Moreमहाभारत हो रहा फिर से अविराम।आओ मेरे कृष्णा, आओ मेरे श्याम॥ शकुनि चालें चल रहा है,पाण्डुपुत्रों को छल रहा है।अधर्म
Read Moreएक नई दोस्त मिली है मुझे,मन में हलचल सी हो रही है मुझे,सुरज की किरणों सी खिला चेहरा,हर बात में
Read Moreसिन्धु-तीर पर लोगों की अठखेली देख रहा हूँ।मस्ती करते अलबेले-अलबेली देख रहा हूँ।। दूर क्षितिज से आकर लहरें कितना इठलाती
Read Moreविश्व में वर्तमान में व्याप्त सभी प्रकार की समस्याओं, संत्रासों, पीड़ाओं और अभावों का मूल कारण प्रकृति के प्रति हमारी
Read Moreऋतुराज वसंत! यह एक सुंदर और अर्थपूर्ण है। ऋतुराज वसंत का अर्थ है “वसंत ऋतु का राजा”। वसंत ऋतु प्रकृति
Read Moreजिस जहर को फैलाने मेंमदद कर रहे हो दुश्मन को,एक दिन निश्चित रूप सेपहुंच जाएगी तुम्हारे ही बच्चों तक,तब तुम्हें
Read Moreबिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज।नई सदी ये कर रही, जाने कैसी खोज॥ दादा-दादी सब गए, बिखर गया संसार।चाचा,
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