बाबा साहेब की विरासत पर सत्ता की सियासत, जयंती या सत्ता का स्वार्थी तमाशा?
बाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान की गरिमा की रक्षा—को
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Read Moreभारत में सरकारी स्कूल सामाजिक समानता और शिक्षा के अधिकार के प्रतीक हैं, लेकिन बजट कटौती, ढांचागत कमी और शिक्षकों
Read Moreभारत को दुनिया में कृषि प्रधान देश के रूप में जाना जाता है। जो खेती से अपनी विशाल आबादी की
Read Moreजलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच
Read Moreएक अनजान बने हुए लोगों को,इसकी अहमियत नहीं होती है।कुछ हमदर्दी जताते हैं,कुछ लोग इसके लिए,बस जिंदगी की खुशियां खत्म
Read Moreबड़े असमंजस में हूँ, कहूँ या न कहूँडरता हूँ आपके नाराज होने के डर से,आपसे अपनी नजदीकियों से।पर करूँ भी
Read Moreप्रखर वक्ता, मृदभाषी, दृढ़ निश्चयी, सिंद्धांत पुरोधा,नीति नियम के महारथी, अटल नाम के थे सारथी।दूरदृष्टा अटल ने पोखरण परमाणु परीक्षण
Read Moreभारतीय समाज की धार्मिक संरचनाएँ – विशेषकर मंदिर और मठ केवल आध्यात्मिक केंद्र नहीं हैं, बल्कि ये सदियों से सामाजिक
Read Moreस्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संसदीय इतिहास में हुई सबसे लंबी बहस के बाद ऐतिहासिक वक्फ़ संशोधन विधेयक -2025 पारित हुआ, राष्ट्रपति
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