गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 16/06/201416/06/2014 मदन मोहन सक्सेना, रंग बदलती दूनियाँ रंग बदलती दुनिया देखी सपनीली दुनिया मेँ यारो सपने खूब मचलते देखे रंग बदलती दुनिया देखी , खुद को रंग बदलते देखा सुविधाभोगी को Read More