कविता

गीत- ****महके चमन हमारा****

साँसों में कस्तूरी महके मन हो हिरन हमारा.
तुम बहार बनकर आ जाओ महके चमन हमारा.

हर दूरी से हो जाये अब
पूरी-पूरी दूरी.
रहे न कोई आस अधूरी
पूरी कर लें पूरी.

होकर सघन प्रेमघन बरसें मन हो मगन हमारा.
तुम बहार बनकर आ जाओ…..

रहें हमेशा ही हम दोनों
इक-दूजे के होके.
कहीं रहें पर कभी न कोई
हमको रोके-टोके.

सारी-सारी धरती अपनी सारा गगन हमारा.
तुम बहार बनकर आ जाओ…..

चढ़ते-चढ़ते प्रेम,भक्ति की
चोटी तक चढ़ जाये.
इक-दूजे में हमें नजर बस
अपना ईश्वर आये.

मिलकर गायें गीत मिलन के जैसे भजन हमारा.
तुम बहार बनकर आ जाओ….
डाॅ.कमलेश द्विवेदी
मो.09415474674

2 thoughts on “गीत- ****महके चमन हमारा****

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    एक आशावादी गीत , इस को गाने को मन करता है , काश मैं गा सकता .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर गीत, डॉ साहब ! “तुम बहार बनाकर आ जाओ, महके चमन हमारा.” वाह वाह ! लगता है हमारे दिल की बात ही कह रहे हैं.

Comments are closed.