पद्य साहित्यमुक्तक/दोहा

दोहे -हिन्दी दिवस पर

 

 

हिंदी है रूपवती किन्तु, गरीब की कन्या है

शहर में घृणा पात्र, गाँव में प्यारी है |

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बाबुओं की दो माता, अंग्रेज़ी और हिन्दी

खुद की माँ अंग्रेजी, सौतेली है हिन्दी |

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पढना लिखना आसान, हिन्दी सीधी साधी

एक जैसा लिखो पढो, आंग्ल उलटी सीधी |

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यदि हिंदी हमारी माँ, तो उर्दू है मौसी

माँ मौसी को छोड़कर, क्यों पूजें विदेशी ?

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हिन्दी है उदार भाषा, स्वीकारता है सब

अंग्रेजी, उर्दू, पारसी, या हो भाषा अरब |

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हिन्दी को बनाओ सरल, मिटा दो सब अन्तर

नये शब्द जुड़ते रहे, विस्तार हो निरन्तर |

 

   कालीपद ‘प्रसाद’

© सर्वाधिकार सुरक्षित     

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !