गीत/नवगीत

दानवता का नाच!

दानवता का नाच देखिए,आस्तीन में साँप देखिए
अपनो का सिर काटनेवाले,जिंदा जिन्न-पिशाच देखिए।

ये मजहब की बाँध के पट्टी,आँखों कोअंधा करते हैं
नफ़रत का कूड़ा फैलाकर, दुनिया को गंदा करते हैं
नंगे होकर घूम रहे है, बिटियों के अब बाप देखिए
दानवता का नाच देखिए,आस्तीन में साँप देखिए।1।

वक़्त पड़ा है गुलशन पर तो,ये कोई भी काम न आयें
प्राणों के रक्षक के ऊपर, ये जमकर पत्थर बरसायें
ये पापी हैं घर के भेदी, छिपकर करते घात देखिए
दानवता का नाच देखिए,आस्तीन में साँप देखिए।2।

नायक को लड़ने के अब तो, अपने शस्त्र बदलने होंगे
दुश्मन हो सरहद के अंदर, तब तो लक्ष्य बदलने होंगे
आँखें आज दिखाते हमको, ना जिनकीऔकात देखिए
दानवता का नाच देखिए,आस्तीन में साँप देखिए।3।

देशद्रोहियों के मुंडों से, हर इक पथ को आज सजा दो
जो थूके भारत माता पर, उसको उसका थूक चटा दो
बच ना पाएँ आज एक भी, भारत का संताप देखिए
दानवता का नाच देखिए,आस्तीन में साँप देखिए।4।

— शरद सुनेरी