गीतिका/ग़ज़ल

गजल

तेरी आंखों में प्यार देखा है
बेहद और बेशुमार देखा है

लाड़ पाया है मैंने अम्मा का
मैंने भी मां का प्यार देखा है

प्यार जिसने किया ज़माने में
उसी को होशियार देखा है

जिसने खिदमत करी बुजुर्गों की
उसकी कश्ती को पार देखा है

मुद्दतों बाद भी है दिल में वो
बस उसे एक बार देखा है

— नमिता राकेश