हास्य व्यंग्य

मनुष्य का शेर होना

कोई मनुष्य ‘शेर’ कैसे हो सकता है? शेर उसे कहते हैं, जो दूसरे का आहार यानी चारा नहीं छीने, लेकिन उन्होंने छिना !

हर पिछड़ा वर्ग उन्हें प्यार करता था, तबतक ही…. जब वह खुद सीएम रहे ! तब से नहीं, जब खुद नहीं रहे, तो बीवी को सत्ता ! बीवी नहीं, तो बेट्टे को सत्ता !! उस पार्टी में एक से एक कद्दावर नेता रहने के बावजूद !

सत्ता के इर्दगिर्द रहने से ही समाजसेवा नहीं होती, हम कार्यकर्त्ता की तरह बाहर रहकर भी होती है ।

‘माई हथुआ राज मिल गइल’ – पहलीबार सीएम बनने पर कहा था ! लेकिन सीएम ‘सेवा’ का पद है, इसलिए सीएम बन जाना कोई हथुआ राज नहीं !

शून्य संपत्ति से संपत्ति के शिखर व मॉल तक कैसे पहुँच गए ? सभी को आप साजिश कह नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते !

कोई ज़िन्दगी भर कमाकर भी एक मकान ढंग के बना नहीं पाते ! फिर इतने समृद्धियों के मालिक ‘गरीबों के मसीहा’ कैसे?

कार्यकर्त्ता को भी सीएम बनाइये । तब न !

सत्ता से चिपके रहना, किसी के लिए भी उचित नहीं है, चाहे कोई भी पार्टी हो !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.