भाषा-साहित्य

सच्ची रामायण की चाभी ?

‘रामायण’ की कथा या घटना कितने ऐतिहासिक है और कितने सही है ? हमेशा यह बहस के केंद्र में रहा ! इतिहास और कल्पना क्या साथ-साथ चल रही है ? आस्तिकता और नास्तिकता साथ-साथ चल रही होती है !
कई-कई रामायणों से निचोड़ निकालकर महान दार्शनिक व समाजशास्त्री ‘पेरियार’ ई. व्ही. रामास्वामी नायकर ने “सच्ची रामायण” नामक पुस्तक लिखी, जिनकी हिंदी में अनुवाद श्री जुगल किशोर ने किया है । श्रीमान पेरियार ने इसपर आस्था से परे कल्पनाप्रसूत व अघट्य -कथा हेतु अनेकानेक तर्क दिए हैं।
“सच्ची रामायण” को समझने के लिए श्री ललई सिंह यादव की पुस्तक “सच्ची रामायण की चाभी” भी अनोखी पुस्तक है । अगर किसी को ‘सच्ची रामायण’ क्लिष्ट व बंद ताला लग रही है, तो इस ताला की ताली (चाभी) यानी इसे पढ़ने के लिए “सच्ची रामायण की चाभी” भी अनिवार्यरूपेण साथ-साथ पढ़नी चाहिए। प्रत्येक बुद्धिजीवी को ये पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए, क्योंकि विचार आस्तिक हो या नास्तिक ‘तर्कशक्ति’ को बढ़ाता है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.