सामाजिक

महिला सशक्तिकरण

समझ नहीं आ रहा कहां से लिखना शुरू करूँ अक्सर लम्बा लिखने से जी चुराती रही हूं मैं, पर अगर अब न लिखी तो मेरा दिमाग कभी शांत नहीं होगा बार- बार उन्हीं बातों और परिस्थितियों में उलझा रहेगा हालांकि लिखकर हालात से निपटा नहीं जा सकता पर थोड़ा शायद मेरा मन हल्का हो जाए।

अक्सर जो हम देखते, समझते है वो पूरा सच नहीं होता ये तो उस वस्तु विशेष को करीब से जानने पर हकीकत का पता लगता है

हमेशा सुप्रिया जी को देखा सुना करती थी इतनी सहज, सुंदर, हंसमुख स्वभाव की कि किसी का भी दिल जीत ले।
कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी थी लगभग सभी आमन्त्रित साहित्कार पहुँच चुके थे जिसमें मैं भी शामिल थी

लेकिन सुप्रिया जी थोड़ा लेट से आईं, मेरे बगल की कुर्सी खाली थी मैंने बैठने का संकेत दिया…..मैंने उनसे हौले से कहा अरे, कित्ती प्यारी दिखती हो आप। आपकी आवाज भी इतनी सुंदर की शब्द शब्द में मिठास है और वाकई मेरी नजरों में उनकी ये सच्ची तारीफ थी । मैं अंदर ही अंदर सोचा करती थी कुछ स्त्रियां कितनी परफेक्ट होती हैं ना !

आज मुझे सुप्रिया जी को करीब से जानने का मौका मिला मेरे बगल की कुर्सी पर थी और मैं ये मौका छोड़ना नहीं चाहती थी चुकी कार्यक्रम चल रहा था तो मैं धीमी आवाज में उनसे बात करने लगी शायद मेरे ये अंदर का जिज्ञासा है जो लोगों को जानने समझने में दिचस्पी रखता है।

मैंने मुस्कुराते हुए पूछा उनसे कैसे इतना मेंटेन रखती हैं आप खुद को… वो भी इत्ती प्यारी मुस्कान के साथ…मुझे बहुत अच्छा लगता है आपका ये अंदाज….
उन्होंने मेरी बातें सुन धीमी आवाज में कहा बबली जी जो दिखता है वो हमेशा सच नहीं होता लोगों को मेरे दर्द का पता न लग जाए, इसलिए हमेशा मुस्कुराती रहती हूं, उनका ऐसा बोलना ऐसा लगा मेरे भीतर कुछ स्थिरता, कुछ स्तब्धता जम सी गई।

मेरे चेहरे की रंगत बदल चुकी थी फिरभी ये सोचे बिना की हर किसी की अपनी प्रायवेसी होती है। इस बात का फिक्र किए बगैर मैंने कहा- प्लीज बताएं सुप्रिया जी ऐसी क्या बात है और जो मैं अबतक समझ रही थी आपके लिए वो सबकुछ गलत हो गया।
उन्होंने दर्द में मुस्कुराते हुए कहा- हां ! मेरे जिंदगी में बहुत प्रॉब्लम चल रहे, मेरा पति मुझे अपने साथ नहीं रखना चाहता उनकी बात काटते हुए मैं बोल पड़ी पर क्यों? आप तो इतनी सुंदर और पढ़ी-लिखी नौकरी करने वाली लड़की हो फिर ! उन्होंने कहा- ऐसी सुंदरता किस काम की जब मेरा पति ही मुझे प्यार नहीं करता.. मुझे सताता है किसी और के साथ उसके नजायज सम्बन्ध बन गए हैं और वो मुझे तलाक देना चाहता है। ओह, मैं दूर से कितना कुछ आपके बारे में सोचती थी आज करीब आकर मन दुखी हो गया…..तो अब आगे ?
उन्होंने कहा- नहीं यार मैं उसे तलाक नहीं देना चाहती उसके साथ ही रहना चाहती हूं मैंने कहा आप एक ऐसे इंसान के साथ रहना चाहती जो आपसे प्यार ही नहीं करता और आपको घर से निकाल चुका है उन्होंने कहा- सब सच बात है पर क्या करूँ मैं उससे प्यार करती हूं, और कभी वो भी मुझसे प्यार करता था।

आज भी मैं उसी का इंतजार कर रही कि मुझे अपना ले वो, और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता घर के बाहर उसके किसके साथ सम्बंध है नम आंखों से उन्होंने कहा- बस मेरी शादी बच जाए । तबतक मैं भी खामोश हो चुकी थी, मैंने कहा मेरी कभी जरूरत पड़े तो जरूर याद करना दोस्त।
तबतक कार्यक्रम अंतिम पड़ाव पर था और उपस्थित महिलाओं के गले में पुष्पहार और सशक्त महिला सम्मान का मेडल मिल चुका था। सुप्रिया जी को शिक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सशक्त सम्मान से सम्मानित किया गया।

अपने मेडल के साथ वो उसी मुस्कान के साथ फोटो खिंचवा रहीं थी।
और मैं उनकी इस बनावटी मुस्कान के पीछे छिपी हकीकत से हैरान, परेशान सोचे जा रही थी, प्रेम में पड़ी स्त्रियां अपनी शादी बचाने के लिए किस हद तक खुद से समझौता करने को तैयार हो जाती हैं।
मेरे चेहरे पर एक व्यंगात्मक मुस्कान फैली और मन ने कहा ऐसे मेडलों से दीवारों की शोभा खूब बढ़ती है।

*बबली सिन्हा

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