कविता

बतीस दांतो के बीच…

भारत भीतर ही है बहुत सारे ऐसे ,
पर्वतराज हिमालय पहाड़ श्रृंखला ।
नैतिकता ही है भारतीयों का ,
अनेकता में एकता विशेषता ।
हमेशा सफल रहते हैं भारतीय ,
जीवन की हरियाली और रास्ता ।
कभी खत्म ना होने वाली ,
खुशहाली और मंगल यात्रा ।
शिर कभी झुका नहीं सकते ,
बेशक हम कटा सकते हैं ।
वीरगति प्राप्त करके भी ,
अपनी सभ्यता बचा सकते हैं ।
वास्तव में देखा जाए ,
एक उदाहरण लिया जाए ।
बतीस दांतो के बीच जीव का आंट कितना ।
जीव को हर तरह की स्वाद कांट छांट कितना ।।
— मनोज शाह ‘मानस’ 

मनोज शाह 'मानस'

सुदर्शन पार्क , मोती नगर , नई दिल्ली-110015 मो. नं.- +91 7982510985