मुक्तक/दोहा

हमीद के दोहे

गांधी जी  हर  दृष्टि से , थे अनुपम  इंसान।
गांधी  भारत  के  लिए, एक  बड़ा वरदान।
सूरज उगकर सुब्ह को,होय शामको अस्त।
जलता हरपल आग में, लेकिन रहता मस्त।
अच्छा जो मख़लूक  से, करता  है  बर्ताव।
रब देता  हरदम  उसे , सब से  ऊँचा भाव।
दहकां को कुछ दे रही,दिल्ली की सरकार।
दूर तलक दिखते नहीं,इसके कुछ आसार।
बड़ा बहादुर  जो बने, लड़ने का अभ्यस्त।
लड़ते  लड़ते ‌ एक दिन, हो जाता है पस्त।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415