मुक्तक/दोहा

दोहे:-

ज्यों माटी को गूँथ कर, देता रुप कुम्हार।
वैसे ही निज शिष्य को, देता गुरु आकार।01

गुरु दीपक हैं ज्ञान का, करता दिव्य प्रकाश।
आलोकित जीवन करें, और तिमिर का नाश।।02

शिक्षक ईश्वर के सदृश, करें सदा उपकार।
उसने ही हमको दिया, जीवन का उपहार।।03

जीवन को सुरभित करें, उर में भरे प्रमोद।
प्रलय और निर्माण द्वय, बसते गुरु की गोद।।04

छात्र वही जो हों सजग, गुरुवर को दे मान।
पालन अनुशासन करें, अध्ययन पर हो ध्यान।05
👉 नाम- शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
👉 पता- मैगलगंज-खीरी

शिवेन्द्र मिश्र 'शिव'

विधा- कुंडलिया, दोहा, मुक्तक विशिष्ट पहचान- दिव्यांग पता-मैगलगंज, जिला-लखीमपुर-खीरी (उ प्र)-(पिन-261505) मोबा 9919881145-वॉट्सऐप jaishreekamtanath@gmail.com