पद्य साहित्य

कुंडलियाँ

रिश्तों से जिस-दिन मरे, प्रेम  और  विश्वास।
फिर उस रिश्ते में कहां, रह जाता अहसास।।
रह  जाता  अहसास, निभाते बे-मन उसको।
होता कष्ट अपार, दोष दें  आखिर  किसको।।
कहता ‘शिव’ दिव्यांग, गले जीवन किस्तों में।
वैमनस्य  का  भाव, पनपता  जब  रिश्तों से।।
शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’

शिवेन्द्र मिश्र 'शिव'

विधा- कुंडलिया, दोहा, मुक्तक विशिष्ट पहचान- दिव्यांग पता-मैगलगंज, जिला-लखीमपुर-खीरी (उ प्र)-(पिन-261505) मोबा 9919881145-वॉट्सऐप jaishreekamtanath@gmail.com