कविता

नया साल का स्वागत

दूरभाष के टावर पर जलता है लाल आला
गॉधी जी के गले में गैंदा फूल की माला
मंहगाई के कारण रसोई घर में मची किरकिरी
स्वागत कीजीये भाई साहब बाईस की जनवरी

महराणा प्रताप के हाथ में था भारी भरकम भाला
रोजगार के दफ्तर में लटक रहा है हर जगह ताला
पढ़े लिखे के बीच में छाया है अब    बेरोजगारी
स्वागत कीजीये बाबु साहेब आती है नया जनवरी

देश गुजर रहा है विचित्र दौर से भाषा है यहॉ गद्दारी
मोदी के खिलाफ खड़ा है देश की विपक्षी पार्टी सारी
राष्ट्रहित में कोई नहीं करता है बात  कभी अधिकारी
स्वागत कीजीये बाबुसाहेब सन बाईस की जनवरी

भ्रष्टाचार का जाल फैला है देश में बड़ा है बीमारी
क्या नेता क्या अभिनेता लिप्त हैं सब कर्मचारी
लूट खसोट का बाजार गरम है जो है कोष सरकारी
स्वागत कीजीये बाबुसाहेब सन बाईस की जनवरी

हर गली के हर नुक्कड़ पर खड़ा है एक बलात्कारी
कानून का भी खौफ नहीं है देखो इनकी मक्कारी
देश की कानून में क्या है पूछो कोई  क्या है लाचारी
स्वागत कीजीये बाबुसाहेब आती है नया जनवरी

विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है विश्व की बिरादरी
पाक चीन की जेहन में बसा है युद्ध करने की बीमारी
कौन समझाये इन मूरख को रोक लो इनकी तैयारी
स्वागत कीजीये बाबुसाहेब आती है नया साल जनवरी

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088