कविता

मैं दीपक

मैं माटी का अदना सा दीपक
बाती संग मिलकर जलता हूँ
तेल की मदद पाकर   हर रात
अंधेरों से नित्य लड़ता     हूँ

जब जब अंधेरा हमें ललकारता
मैं निडर बन सामना करता हूँ
अपनी नन्हीं सी लौ के बल पर
तम को भगाना चाहता     हूँ

हमें तुफान से भी कोई डर ना
सामने खड़ा सामना करता हूँ
पर जब मेरी लौ कमजोर होती
बुझ ने को मजबूर हो  जाता।  हूँ

फिर भी तुफाँ से लड़ने की हिम्मत है
हमें कोई डर ना है कोई        भय
ताल ठोंक कर हमें ना डराओ तुम
मैं भी भरपूर कोशिश करता हूँ

मैं माटी का अदना सा दीपक
बाती संग मिल कर जलता हूँ
तेल की मदद को पाकर मैं
अंधेरों से नित्य लड़ता  रहता हूँ

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088