त्रासदी है….
त्रासदी है…. क्या छोटा शहर, क्या महानगर… विकृत मानसिकता के व्यक्ति हर जगह पाए जाते हैं । समझ नहीं आता
Read Moreत्रासदी है…. क्या छोटा शहर, क्या महानगर… विकृत मानसिकता के व्यक्ति हर जगह पाए जाते हैं । समझ नहीं आता
Read Moreन अभिमान कर, वर्तमान का, पद का, प्रतिष्ठा का, और इसकी ऊंचाइयों का ! होगा कोई और, कल इसका वारिस
Read Moreशिक्षित समाज, ये सभ्य समाज,,, सब्जी-भाजी की तरह, लगती है जहाँ, आज भी… जिस्मों की मंडी ॥ नज़रें करें, तोल-मोल
Read Moreतजुर्बे से लवरेज, बेबस बागबां ! उपेक्षित,,, स्नेहिल रिश्तों द्वारा ! नि:शब्द हो, चाहें,,, जीवन से रिहाई !! अंजु गुप्ता
Read Moreगम्भीरता का ओढ़ लबादा, आज फिर एक वर्ष बाद हिन्दी दिवस पर, फिर बैठा,,, अभिजात्य वर्ग । दे अँग्रेजी में
Read Moreशांत, व्यवस्थित, योजनाबद्ध शहर । लिए आगोश में, प्राकृतिक नजारे। कल तक था मैं… इक स्मार्ट शहर ॥ आज …
Read Moreसुनो दस्तक … चाहे परिवर्तन अब नारी । बीता वो युग, जब थी नारी “केवल श्रद्धा । जो बन कठपुतली
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