भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहाँ प्रत्येक भारतीय नागरिक को सरकार की आलोचना करने का अधिकार प्राप्त है । परन्तु देखने मेरे आ रहा है कि कुछ राजनेता जब सरकार की आलोचना करते करते थक जाते हैँ या उन्हें आलोचना करने का कोई उचित विषय नहीँ मिलता तब उनकी दृष्टि भारत में सृजित साहित्य की […]
Author: अशर्फी लाल मिश्र
लाल नीति संग्रह – भाग -2
शुभ काम मर्यादित रखो भाषा,घर में हो शुभ काम। आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम।।1।। सुख-शांति जिस घर गुस्सा वासना,मन में लालच होय। उस घर नहि हो सुख शांति,यह जानत सब कोय।।2।। सशस्त्र सेना झंडा दिवस (7 दिसंबर ) दल सशस्त्र झंडा दिवस, खुलकर दीजै दान। शहीद अपंग परिवार, होय महा कल्यान।।3।। विश्व मानवाधिकार […]
लाल नीति संग्रह : भाग -1
लेखनी मत करियो कुंठित कलम, गाय मनुज यश गान। मानव हित में लेखनी , वही लेखनी जान।।1।। राजनीति राजनीति की कोठरी , कालिख से भरपूर। विरला ही कोई मिले, हो कालिख से दूर।।2।। चुनाव आते फूटता , जातिवाद नासूर। मतदाता को भ्रमित कर, करते चाहत पूर।।3।। अपराधी लड़े चुनाव, नहि निर्भय मतदान। […]
चरित्र दर्शन
चरित्र देखना है, नशे में देखिये. धन का नशा हो, तब चरित्र देखिये. ओहदे का नशा हो, बेनक़ाब चरित्र देखिये. शराब का नशा हो असली चरित्र देखिये. -अशर्फी लाल मिश्र
है लगा अभी वैशाख
है लगा अभी वैशाख, दिनकर उगल रहा है आग. पशु पक्षी सब ढूढ़े छाया, सभी लगाये भागम भाग.. पश्चिम मारुत ऐसे बहता, मानो मारुत मारै चाटा. कोई गश खाकर भूमि पड़ा, कोई छोड़े जीवन नाता.. —अशर्फी लाल मिश्र
नीति के दोहे मुक्तक
सुख -शांति जिस घर गुस्सा वासना, मन में लालच होय. उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय.. शुभ काम मर्यादित रखो भाषा, घर में हो शुभ काम. आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम.. —अशर्फी लाल मिश्र
गार्गी: एक महान दार्शनिक
जब जब वैदिक कालीन दार्शनिकों ,विद्वानों एवं तत्व वेत्ताओं का उल्लेख होता है तब तब महिला विद्वानों में ब्रह्मवादिनी कन्या गार्गी का उल्लेख सर्वोपरि होता है। गार्गी, गर्गवंशीय वचक्नु नामक ऋषि की पुत्री थी और नाम रखा गया ” वाचकन्वी गार्गी “। गार्गी का जन्म लगभग 700 ईसा पूर्व माना जाता है। विदुषी गार्गी ने एक बार […]
अमर लेखनी
कितनों ने किया है त्याग , कितनों ने किया बलिदान। कितने मर कर जीवित है, कितनों का मिटा निशान।। लेखनी के द्वारा , लोग बने महान। कोई बना देव तुल्य, कोई बना भगवान।। – अशर्फी लाल मिश्र
स्वागत स्वागत नव संवत्सर
स्वागत स्वागत नव संवत्सर, हर द्वार सजा है बंदनवार। घर घर से भक्त निकल रहे, लिए थाल पुष्पों का हार।। हर कोई सरपट दौड़ रहा, पहुंच रहा माता के द्वार। हर कोई व्याकुल दीख रहा, कब हों माता के दीदार।। घंटे की ध्वनि गूंज रही थी, मंदिर माता भीड़ अपार। भक्तों की थी रेला पेली, […]
कवि कुछ ऐसा करिये गान
(विश्व कविता दिवस पर-21मार्च) कवि कुछ ऐसा करिये गान, होये मानवता का मान। दानवता सिर उठा रही, मानवता है सिसक रही।। छाए हैं परमाणु के बादल, कवि कुछ ऐसी हवा बदल। उड़ जाएं सारे बादल, ठंढी हो जाये हलचल।। कवि ऐसा अवसर कब होगा? मानवता का सिर ऊंचा होगा। दानवता […]