ख्वाइश…
मेरी ख्वाइश तेरी चाहत की हद से गुजर एक इबादत सी हो गई है !! तू जितना दूर है मुझसे
Read Moreन जाने क्यों?? आजकल अकेलापन भाने लगा है शायद ! इसकी वजह हो तुम वक्त के गुमसुम चेहरे पर अधखुली
Read Moreतुम्हारी मुहब्बत में…… एक किताब सी हो गई हूं मैं हर कोई देखकर चेहरा मेरा पढ़ लेता है हाले-दिल व्या…..
Read Moreसच कहूं तो ! श्रृंगार के नाम पर मुझे चुरी, सिंदूर, बिंदी के सिवा कुछ और भाता नहीं नहीं कर
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