ग़ज़ल
हिस्सा-ए-बाज़ार न बन, हिम्मत रख लाचार न बन कुछ अपनी भी सोचा कर, सबका खिदमतगार न बन दुश्मन भी रख
Read Moreकरवाचौथ पर मेरी पत्नी को समर्पित एक कविता :- करवाचौथ बहाना है, बस इतना याद दिलाना है, रात को जब
Read Moreदिल्ली में हुए शर्मनाक कांड पर दिल में उत्पन्न हुए आक्रोश से निकली कुछ पंक्तियाँ :- मानवता हो गई मरणासन्न,
Read Moreप्राण पंछी है विकल, असह्य मेरी वेदना मौन मुखरित है प्रिये, अकथ्य मेरी वेदना नीर नैनों में भरे मैं,समुद्र तट
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