घर से निकला गर्मी में चंद कदम चल मैं तो वापस लौट आया हाय हाय मजबूरी कपड़ा और रोटी की जद्दोजहद में मजदूर को देखा पसीना बहाते नंगे सिर ईंट सीमेंट ढोते वह कैसे लौट जाता डर कर इन लू के थपेड़ों से वह भी अगर डर जाय तो कैसे जले रात को उसके घर […]
Author: ब्रजेश गुप्ता
खबरिए
वे बस्ती के खबरिए हैं उन्हें सब पता है किस से किस का टांका भिड़ा है कौन छिप छिप कर किस से मिला है पड़ोसन का बहु से रात झगड़ा हुआ है कौन आया रात दारू पी के किस से कौन मिला रात आके किसके यहां आने वाली खुशी है कौन दुल्हनिया बनने जा रही […]
किताबें
किताबें क्या हैं एक रोशनी हैं जो उजियाला कर देती हैं आदमी में किताबें लिखी जाती हैं संवेदनाओं पर चित्रण करती हैं जो दिखता समाज में किताबों के अक्षर स्याह जरूर हैं पर भर देते लोगों के जीवन में एक रोशनाई और एक रोशन हुआ आदमी काम करता है लैंप पोस्ट का
जीवन मृत्यु
मौत तुझसे डर कैसा तू अजनबी नही तू तो अपेक्षित है इसलिए तू मुझे डरा सकती नहीं तू मेरे लिए कोई नई नहीं नित्य देखा है तुझको आते हुए इसलिए मैं निडर हूं स्वागत है तेरा कभी भी मुझसे मिल सकती है तू मेरा तेरा तो अटूट रिश्ता है मैं जीवन हूं तू मृत्यु
सड़क
बहुत देर करदी तूने यहां आते आते अब कौन मिलेगा तुझे यहां तेरे इंतजार में सब तो शहरों को चले गए अपना गांव छोड़ कर सड़क तूने बहुत देर कर दी आते आते
यह कैसा डर
उम्र के साथ साथ एक डर बढ़ता जाता है बच्चों से दूर रहने का हजारों मील दूर से कैसे आयेंगे उठाने बेजान देह को साथ भी नही रह पाते अपनी अपनी आज़ादी की खातिर एक मौन निर्णय हो जाता है अकेले दूर दूर रहने का जीते हैं मन में एक घुटन लिए हुए यह कविता […]
कर्म फल
सब कुछ होते हुए भी जीवन कुछ खाली खाली सा हो क्या कहे इसे हम क्या माने इसको पुनर्जन्म के हैं यह कर्म जिन्हें भोगने लेते हम यहां जन्म कोई बात बात पर रार करे कोई हर रार पर मुस्कुरा भर दे कोई जीवन नर्क बना दे कोई जीवन को महका दे कोई झोपड़ में […]
मानस प्रबोध आश्रम
मानस प्रबोध आश्रम, घोघरा तहसील सौंसर जिला छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में हनुमान जयंती के अवसर पर संकट मोचन राम भक्त हनुमान जी के सामने मुझे अपनी हाजरी लगाने का सुअवसर मिला.विगत दिनों से यहां 1001 सुंदर काण्ड का पाठ चल रहा था. यह आश्रम एक टीले पर बना हुआ है. एकांत और रमणीक स्थल है. […]
गर्मी की मेवा फालसे
आज बाजार गया तो एक ठेले वाले द्वारा दी गई गर्मी की मेवा फालसे की आवाज सुनकर अपनी स्कूटी उधर ही मोड़ दी. ठेले पर बढ़िया फालसे की ढेरी लगी थी, दाम पूंछे तो बोला साहब पचास रुपए के 250 ग्राम. मन ही मन गणित लगाया, 200 रुपए किलो. एक बार लगा की मंहगे हैं […]
दुआएं
क्या है मेरे पास किसी को कुछ देने को क्या हस्ती क्या बिसात है मेरी जो कुछ दे सकू किसी को चंद शब्द हैं चंद दुआए जो मेरी हैं बस वही हैं मेरे पास दूसरों को देने को