Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य शरीर मल-मूत्र बनाने की मशीन सहित ईश्वर प्राप्ति का साधन

ओ३म्   वास्तविक दृष्टि से देखा जाय तो शरीर मल-मूत्र बनाने की एक मशीन ही है। इसको उत्तम-से-उत्तम भोजन या

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सामाजिक

यथार्थ वर्णव्यवस्था और दलितोद्धार में महर्षि दयानन्द का योगदान

ओ३म् इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जन्मना वर्ण-जाति व्यवस्था से  ग्रस्त

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

पं. आर्यमुनि के अनेक अलभ्य ग्रन्थों में एक दयानन्द-चरित-मानस

ओ३म्   पं. आर्यमुनि जी आर्यसमाज के शीर्षस्थ विद्वानों में से एक रहे हैं। महर्षि दयानन्द जी के परलोकगमन के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म (वेदोक्त धर्म) से हीन मनुष्य पशु के समान होता है

ओ३म् पं. राजवीर शास्त्री जी का धर्मोपदेश–   दयानन्द सन्देश आर्यजगत की प्रमुख पत्रिका रही है व आज भी है।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज का सदस्य बनने से जीवन की उन्नति व अनेकानेक लाभ

ओ३म्   ईश्वर इस सृष्टि का रचयिता व पालक है। मनुष्य व अन्य सभी प्राणियों को जन्म देने वाला भी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जीवात्मा ही सुख-दुःख का भोक्ता और ईश्वर उनका साक्षी है

ओ३म् –ऋषि दयानन्द उपदेश-   मनुष्य का) देह और अन्तःकरण जड़ है, उनको शीतोष्ण प्राप्ति और भोग नहीं है जैसे

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मभाषा-साहित्य

आर्यसमाज की महान विभूति पं. राजवीर शास्त्री की साहित्य साधना

  ओ३म्   आर्यसमाज के गगन मण्डल के जाज्वल्यमान नक्षत्र, महान वैदिक विद्वान कीर्तिशेष ऋषिभक्त पं. राजवीर शास्त्री जी के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद प्रचार में सभी श्रेष्ठ कार्यों का समावेश होने से यही कर्तत्व है

ओ३म् भारत में वेद प्रचार का शुभारम्भ महाभारत युद्ध के बाद पहली बार महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने अपनी शिक्षा पूरी

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भाषा-साहित्य

‘राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष की राष्ट्र भाषा हिन्दी की भक्ति

ओ३म् प्रस्तुतकर्त्ता की टिपण्णी : आज हम महात्मा गांधी की अध्यक्षता में सम्पन्न राष्ट्र–भाषा सम्मेलन में 29 दिसम्बर, 1928 को

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