Author: *मनमोहन कुमार आर्य

इतिहासधर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महामहोपाध्याय आर्यमुनि और उनका प्रमाणिक वैदिक साहित्य

ओ३म् पं. आर्यमुनि (जन्म 1862) का आर्यसमाज के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान है। आर्यसमाज की नई पीढ़ी के अधिकांश लोग

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आत्मा का स्वराज्य

ओ३म् डा. रामनाथ वेदालंकार जी वेदों के प्रसिद्ध विद्वान थे। अनेक विद्वानों के श्रीमुख से  हमने उनके लिए वेदमूर्ति सम्बोधन

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इतिहासधर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द के द्वारा संगृहीत हस्तलिखित तथा मुद्रित वेद की पुस्तकें जो उनके निधन के समय विद्यमान थीं

ओ३म् ऋषि दयानन्द का पं. लेखराम रचित जीवन चरित पढ़ते समय एक बार हमारी दृष्टि में यह तथ्य आया कि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद को पढ़ना पढ़ाना चाहिए वेद को सुनना सुनाना चाहिए

ओ३म् वेद को पढ़ना पढ़ाना चाहिए वेद को सुनना सुनाना चाहिए।। वेद के अनुकूल हो हे आर्यों आचरण अपना बनाना

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महर्षि दयानन्द को राष्ट्रकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की भाव-भरित श्रद्धांजलि

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार की अपनी यात्राओं में बंगाल वा कोलकत्ता को भी सम्मिलित किया था। वह राष्ट्रकवि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आज जयंती पर / राम के मित्र महावीर हनुमान का आदर्श व अनुकरणीय जीवन

ओ३म् आज आर्य धर्म व संस्कृति के महान आदर्श आजन्म ब्रह्मचारी महावीर हनुमान जी की जयन्ती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मसामाजिक

‘विष का घट फोड़ दो : पंडित प्रकाश चन्द्र कविरत्न’

ओ३म् बन्धुओं दुःख सिंधु से यह देश नैया पार हो। आर्यों की वृद्धि हो यदि शुद्धि का विस्तार हो।। शुद्धि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द के पत्रों के संग्रहकर्ता व प्रकाशक विभूतियां

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने गुरु विरजानन्द से आर्ष ज्ञान व शिक्षा का अध्ययन कर संसार से अज्ञानान्धकार वा धार्मिक तिमिर

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यों वा सभी मनुष्यों के यथार्थ आदर्श वेद प्रतिपादित ईश्वर और ऋषि दयानन्द

ओ३म् प्रत्येक बनी हुई व बनने वाली जड़-जन्तु सामग्री का काई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। यदि उद्देश्य न

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