पहरा
मेरे आस पास अभी रंजिशों का पहरा है किसको सुनाऊं हाल ए दिल जो खड़ा मेरे पास वो बहरा है
Read Moreमेरी कविता चीख है हकीकत की किसी का गुणगान नहीं अबोल पीड़ा है माटी की किसी पार्टी के दरवाजे की
Read Moreसमंदर के बीच अटखेलियां करती कविता सभी से दूर अकेले में {1}एक बना रहा नाव !! साथ पतवार लगा रहा
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