कविता प्रवीण माटी 21/06/2017 बीज एक बीज जो अंकुरित हुआ मेरे अंदर संभाला पोषित किया मैंने उसको संवारा ,दुलारा सुबह, शाम ,रात ,दोपहर बूंद-बूंद पिलाई Read More
अन्य लेख प्रवीण माटी 21/06/2017 पागल कौन? अरे ! यार रजत “पता नहीं कब तक यूं ही जन्नत में हमारे पत्थरबाजी चलती रहेगी ,पता नहीं ऐसा क्या Read More
ब्लॉग/परिचर्चा प्रवीण माटी 21/06/2017 बाल मजदूर कल सिनेमाघर में एक फिल्म देखी !! नाम था “बैंक चोर” फिल्म के शुरुआत में ही एक ऐसा दृश्य देखने Read More
कविता प्रवीण माटी 21/06/2017 भूल तो पड़ जाती तुम्हारी लेकिन भूल तो पड़ जाती तुम्हारी लेकिन पार्कर का पेन जो तुमने दिया था उससे मैं हर रोज लिखता हूं , Read More
कविता प्रवीण माटी 06/06/201706/06/2017 लक्ष्य लक्ष्य निर्धारित कर कर दे शुरुआत सफर की रास्ता खुद ब खुद बन जाएगा कदमों के निशान छोड़ता चल पीछे Read More
कविता प्रवीण माटी 06/06/201711/06/2017 मौन मौन और स्थिर निशानी निर्जीव की जीवटता देखी है मैंने जब हवा के जगाने से पेड़ों के पत्ते गाने लगते Read More
लेख प्रवीण माटी 04/05/2017 कश्मीर कश्मीर एक ज्वलंत मुद्दा 1947 से लेकर आज तक हम एक ऐसी लड़ाई लड़ रहे हैं ,जिसका कभी परिणाम नहीं Read More
कविता प्रवीण माटी 04/05/201704/05/2017 #पटरियाँ कभी नहीं मिल पाती चलती है साथ-साथ एक दूसरे के मीलों तक ये दोनों पहुंचाती हैं मुसाफिरों को मंजिलों तक Read More
कविता प्रवीण माटी 20/04/201720/04/2017 नापाक तड़प रही हैं भुजायें ,ये छाती,बाहर निकलो छुपे गद्दारों । कश्मीर कण-कण हिंदुस्तान ,छुप-छुप कर कब तक बैठोगे सियारों।। भड़की Read More
कविता प्रवीण माटी 25/02/201702/03/2017 गीत एक झील में कश्ती कश्ती में मैं हूँ,तुम हो साथ मेरे होले-होले खैओ नैया,बस हम साथ रहें पानी कल-कल करता Read More