कविता

नापाक

तड़प रही हैं भुजायें ,ये छाती,बाहर निकलो छुपे गद्दारों ।
कश्मीर कण-कण हिंदुस्तान ,छुप-छुप कर कब तक बैठोगे सियारों।।

भड़की ज्वाला देशप्रेम की,छुने भर से जल जाओगे।
चुन-चुन कर संहार होगा, जल्दी प्राणों से मुक्ति पाओगे।।

कश्मीर का ख्वाब अब छोड़ दे,हकीकत पर विश्वास कर।
तिल-तिल कर मर रही जनता, खुदा से डर,खुदा से डर।।

मुकुट हिमालय भारत का,घाटी में बरसों से वीर समाये।
लद्दाख में शेरपा शेर हैं,वहाँ कुदरत श्वेत चादर बिछाये।।

नापाक नजर गड़ाये बैठा,तूँ ये चक्रव्युह भेद ना पायेगा ।
छु भी नहीं कर सकता कायर तूँ,जब तक वीर ये “भारत माता गायेगा” ।।

बहला फुसला कर हमले करता,घाटी के बाशिंदों को फुसलाया ।
बनाया तुने तालिबान,देख उसने तेरे घर में ही कोहराम मचाया ।।

परमाणु परमाणु चिल्लाये,कर्जे में डूबा है घर ।
अटल से समझ ले आजादी की, कुछ तो शर्म कर ,शर्म कर।।

विश्व पटल पर बिखरी इज्जत, सुन रहा सबसे ताने ।
कहावत पूरी “घर में नहीं दाने,अम्मा चली भुनाने ।।

आजाद कश्मीर में हर रोज,गुँज रहा है भारत माता का जयकारा।
कब तक सताओगे जनता को,फूटेगी क्राँति वो ना रहेंगे बनकर बेचारा।।

कितनी बार टूटा घमंड तेरा,अपनी इज्जत का तो खौफ खा।
मिट जायेगा पाकिस्तान नक्शे से,मान जा तूँ अब मान जा ।।

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733