लेख

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

देश और समाज को अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले आदर्श महापुरुष ऋषिभक्त स्वामी श्रद्धानन्द

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश में जिस प्राचीन वैदिक कालीन गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का विवरण प्रस्तुत किया था उसे साकार

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वाध्याय करने से ज्ञान प्राप्ति सहित आत्मिक व सामाजिक उन्नति

ओ३म् मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अविनाशी एवं अमर है। एकदेशी होने से यह अल्पज्ञ है। हमें नहीं पता कि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों की अनमोल देन सब सुखों का आधार अग्निहोत्र यज्ञ

ओ३म् वैदिक मान्यता के अनुसार मनुष्य जीवन चार आश्रमों में विभाजित है। ये आश्रम हैं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।

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