लेख

इतिहास

दिव्यांगों के आदर्श – श्री बच्चू सिंह (भाग 6 अंतिम)

विभाजन के समय आंतकवादियों पर कड़ाई और जरूरतमंदों का सहयोग करने से बच्चू सिंह की लोकप्रियता बढ़ती गई, इससे नेहरू

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सामाजिक

लेख– क्या लोकतंत्र में चुनाव का मतलब सिर्फ़ सत्ता की चाबी हो गया है?

आज के दौर की सामाजिक स्थिति को देखकर लगता है। क्या आज़ादी बाद चुनाव मात्र सिंहासन बदलने भर की रवायत

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सामाजिक

लेख– सामाजिक सोच में बदलाव से ही लाड़ली को लक्ष्मी बनाया जा सकता है।

आंकड़े सिर्फ आहट की दस्तक़ नहीं देते, बल्कि सच्चाई से रूबरू कराते हैं। देश में लिंग-अनुपात के लगातार कम होने

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राजनीति

सरकार की प्रथम जबाबदेही जनता के प्रति है लोकसेवकों के प्रति नहीं

वैसे तो भारत एक लोकतांत्रिक देश है। अगर परिभाषा की बात की जाए तो यहाँ जनता के द्वारा जनता के

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सामाजिक

लेख–डाक्टरों की कमी से जूझता आनंद मत्रालय गठित करने वाला राज्य

जीवन की पहली आवयश्कता भोजन और दूसरी दवा होती है। फ़िर कोई अन्य जरूरते। किसी संपन्न और खुशहाल प्रदेश के

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