कविता माँ मुझे…
माँ मुझे तेरा, ही गान लिखना है। गुमशुदा स्वाभि- मान लिखना है। अंगार उगलते है, दृग दृष्टि में- व्यभिचारी का,
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Read Moreवागीश्वरी (सात यगण+लघु गुरु) सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/12, 23 वर्ण “वागीश्वरी सवैया” उठो जी सवेरे सवेरे उठो जी, उगी लालिमा
Read Moreदेशद्रोह की आवाजों का मैं पहला प्रतिकार हूँ कायर आतंकी सीने पर अभिनंदन सा वार हूँ अगर देश पर खतरा
Read Moreनयी पीढ़ी की होनहार लेखिका समीक्षा तैलंग का प्रथम व्यंग्य संग्रह “ जीभ अनशन पर है ” इन दिनों काफी
Read Moreभारतीय संस्कृति में गणगौर का पर्व राजस्थान का विशिष्ट पर्व है। इसे बड़े उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता
Read Moreसुबह वृद्धाश्रम पहुँच कर सारी कार्यवाही पूरी कर बेटा बहू जाने लगे तो हतप्रभ सा पोता बोला माँ दादाजी को
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