ठी जो आंख भारत पर
उठी जो आंख भारत पर, उसे इतना गिरा देना।चिरागों से नहीं डरते, मशालें हम, सुना देना। सुहागिन हो गई विधवा,
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Read Moreदहेज की बातें करते हो,सड़कों पर मोमबत्तियाँ जलाते हो,पर बेटी की शादी में फिर भी,बैंक बैलेंस पर निगाहें गड़ाते हो।
Read Moreअब कोई तुर्कीए पर ना करना भरोसा,मित्रता के नाम पर हथियार है परोसा।तुर्कीए में भूकंप का कहर बरसा गुरू,भारत ने
Read Moreबिहार की राजनीति एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, और इस दौर के केंद्र में इस बार राहुल
Read Moreलक्ष्य अधूरा ही रहा, मन में रहा मलाल।मिल जाती कुछ छूट तो, करते बहुत कमाल।।लक्ष्य अधूरा ही रहा, चूक गई
Read Moreजी में आता है के अब तर्क़ मुहब्ब्त कर दूं,ख़त तेरे सारे ही, हवाओं के हवाले कर दूं, तकाज़ा ए
Read Moreसोशल मीडिया पर नारी देह का बढ़ता प्रदर्शन क्या वाकई सशक्तिकरण है या महज़ लाइक्स और फॉलोअर्स की होड़? क्या
Read Moreपीर विश्वासघात की ऐसे ।खुला आकाश, वस्त्र जर्जर हो,और अगहन की रात हो जैसे। जेठ की जलती दोपहर जैसे।महामारी का
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