कविता

ठीक उसी तरह जैसे

अपने अनुभवों, एहसासों , विचारों को
यथार्थ रूप में
अभिव्यक्त करने के लिए
जब जब मैनें लेखनी का कागज से स्पर्श किया
उस समय मुझे एक विचित्र प्रकार के
समर से आमुख होने का अवसर मिला
लेखनी अपनी परम्परा प्रतिष्टा मर्यादा के लिए प्रतिबद्ध थी
जबकि मैं यथार्थ चित्रण के लिए बाध्य था
इन दोनों के बीच कागज मूक दर्शक सा था
ठीक उसी तरह जैसे
आजाद भारत की इस जमीन पर
रहनुमाओं तथा अन्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के बीच हुए
जायज और दोष पूर्ण अनुबंध को
अवाम को मानना अनिवार्य सा है
जब जब लेखनी के साथ समझौता किया
हकीकत के साथ साथ कल्पित विचारों को न्योता दिया
सत्य से अलग हटकर लिखना चाहा
उसे पढने वालों ने खूब सराहा
ठीक उसी तरह जैसे
वेतन वृद्धि के विधेयक को पारित करवाने में
विरोधी पक्ष के साथ साथ सत्ता पक्ष के राजनीतिज्ञों
का बराबर का योगदान रहता है
आज मेरी प्रत्येक रचना
वास्तविकता से कोसों दूर
काल्पनिकता का राग अलापती हुयी
आधारहीन तथ्यों पर आधारित
कृत्रिमता के आवरण में लिपटी हुयी
निरर्थक विचारों से परिपूर्ण है
फिर भी मुझको आशा रहती है कि
पढने वालों को ये
रुचिकर सरस ज्ञानवर्धक लगेगी
ठीक उसी तरह जैसे
हमारे रहनुमा बिना किसी सार्थक प्रयास के
जटिलतम समस्याओं का समाधान
प्राप्त होने की आशा
आये दिन करते रहतें हैं
अब प्रत्येक रचना को लिखने के बाद
जब जब पढने का अव्सर मिलता है
तो लगता है कि
ये लिखा मेरा नहीं है
मुझे जान पड़ता है कि
मेरे खिलाफ
ये सब कागज और लेखनी की
सुनियोजित साजिश का हिस्सा है
इस लेखांश में मेरा तो नगण्य हिस्सा है
मेरे हर पल की विवशता का किस्सा है
ठीक उसी तरह जैसे
भेद भाव् पूर्ण किये गए फैसलों
दोषपूर्ण नीतियों के दुष्परिणाम आने पर
उसका श्रेय
कुशल राजनेता पूर्ववर्ती सरकारों को देकर
अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं !

मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: madansbrac@gmail.com ,madansbarc@ymail.com

4 thoughts on “ठीक उसी तरह जैसे

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा लिखा है भाई साहिब .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब, मदन मोहन जी. आपकी ग़ज़लों की तरह यह पद्य भी रोचक है.

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